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विवाह और जयमाला में गंगा आरती के ज्योतिषीय लाभ

2025-08-164 min read

🌌 विवाह एवं जयमाला में गंगा आरती करने के ज्योतिषीय लाभ

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1. ✨ ज्योतिष एवं शास्त्रों में गंगा का दिव्य महत्व

  • स्कन्द पुराण और पद्म पुराण में माँ गंगा को पाप नाशिनी (Paap Nashini) और कल्याण प्रदायिनी कहा गया है।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जल तत्व (Jal Tatva) का सीधा संबंध चन्द्रमा (Chandra) से है, जो मन, शांति और दाम्पत्य जीवन का कारक है।
  • अतः विवाह में गंगा का आह्वान करने से भावनात्मक संतुलन मिलता है और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।

📖 प्रमाण:
“गंगास्नानं पापहरं पुण्यप्रदं मोक्षदं च” – स्कन्द पुराण
(अर्थ: गंगा स्नान या पूजा पापों का नाश करती है, पुण्य प्रदान करती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है।)


2. 🌙 गंगा आरती से ग्रहों की शक्ति में वृद्धि

  • चन्द्र (Moon): मन की शांति और वैवाहिक जीवन का सामंजस्य। गंगा आरती चन्द्र को बल देती है, जिससे भावनात्मक स्थिरता आती है।
  • शुक्र (Venus): सौंदर्य, प्रेम, विवाह एवं ऐश्वर्य का कारक। गंगा तट पर दीप आरती करने से शुक्र बलवान होता है, जिससे दाम्पत्य जीवन में प्रेम, आकर्षण और समृद्धि आती है।
  • गुरु (Jupiter): ज्ञान, संतान और धर्म का कारक। गंगा आरती करने से गुरु की कृपा मिलती है, जिससे धार्मिक जीवन और स्वस्थ संतान का आशीर्वाद मिलता है।

📖 शास्त्रीय प्रमाण:
“ग्रहणां शांति क्रिया जल होमं” – पराशर होरा शास्त्र
(अर्थ: ग्रहदोषों की शांति जल एवं अग्नि के माध्यम से की जाती है।)


3. 🔱 विवाह में दोषों का निवारण

  • मंगल दोष (कुज दोष): गंगा आरती से मंगल का उग्र प्रभाव शांत होता है, जिससे संबंधों में स्थिरता आती है।
  • कालसर्प दोष: गंगा की आरती और मंत्रों के कंपन से राहु-केतु संतुलित होते हैं।
  • शनि दोष: गंगा आरती शनि से जुड़े कर्म ऋण को शांति प्रदान करती है और स्थायी सुख देती है।

📖 प्रमाण:
बृहत पराशर होरा शास्त्र के अनुसार जल होम और दीप आरती शनि, राहु और केतु दोषों के निवारण के लिए श्रेष्ठ उपाय है।


4. 💍 जयमाला (माला डालने की रस्म) में गंगा आरती क्यों?

जयमाला दो आत्माओं के मिलन का प्रतीक है। इस समय गंगा आरती करने से:

  • सकारात्मक ब्रह्मांडीय ऊर्जा का संचार होता है।
  • ✅ दूल्हा-दुल्हन पर लगी दृष्टि दोष (बुरी नज़र) समाप्त होती है।
  • ✅ विवाह की शुरुआत दैवीय और ज्योतिषीय समन्वय के साथ होती है।

📖 शास्त्रीय प्रमाण:
विवाह कर्मकाण्ड में अग्नि (Agni) और जल (Ganga Jal) को विवाह का साक्षी माना गया है (अग्नि साक्षी)। गंगा आरती इन दोनों का संगम है।


5. 🌳 पितृ आशीर्वाद एवं कुल की उन्नति

  • गंगा को पितृ दोष निवारण (Pitra Dosh Nivaran) का कारक माना गया है।
  • विवाह में गंगा आरती करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार की उन्नति व संतान सुख का आशीर्वाद देते हैं।

📖 प्रमाण:
“गंगाजल प्राशनेन पित्राणां तर्पणं भवेत” – गरुड़ पुराण
(अर्थ: गंगाजल से किए गए तर्पण से पितर प्रसन्न होते हैं।)


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❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्र.१: क्या विवाह में गंगा आरती करना अनिवार्य है?
➡️ अनिवार्य नहीं, लेकिन इसे अत्यंत शुभ माना गया है। यह दोषों को दूर करती है और विवाह को आध्यात्मिक आशीर्वाद देती है।

प्र.२: गंगा आरती से कौन-कौन से दोष शांत होते हैं?
➡️ मंगल दोष, कालसर्प दोष और शनि दोष का निवारण होता है।

प्र.३: क्या गंगा आरती हर जगह की जा सकती है या सिर्फ वाराणसी/हरिद्वार में ही?
➡️ जी हाँ ✅ BookGangaArti.com के माध्यम से आप कहीं भी अनुभवी पंडितों द्वारा वैदिक गंगा आरती करवा सकते हैं।



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